
रात भर डूबता उग़ता रहा इक
ख्वाब तुम्हारी आंखो से गिरा मेरी पलकों पे
सजा रात भर दूधिया चाँदनी में घुलता रहा एक ख़वाब......
पेड़ों के पीछे-चाँद के साथ साथ-
बादलों के संग ,चलता रहा एक ख़वाब.....
।ओस से गीला ठंड में दुबका,
सपनो की चादर बुनता रहा एक ख़वाब.........
ख्वाब तुम्हारी आंखो से गिरा मेरी पलकों पे
सजा रात भर दूधिया चाँदनी में घुलता रहा एक ख़वाब......
पेड़ों के पीछे-चाँद के साथ साथ-
बादलों के संग ,चलता रहा एक ख़वाब.....
।ओस से गीला ठंड में दुबका,
सपनो की चादर बुनता रहा एक ख़वाब.........
painting by -- Jatin Das
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