गुरुवार, 23 जून 2011

सावन

रुकी रुकी सी बारिशों के बोझ से दबी दबी

झुके झुके से बादलों से -
धरती की प्यास बुझी
घटाओं ने झूमकर  
 मुझसे कुछ कहा तो है
बूंदे मुझे छू गई -
तेरा ख्याल आ गया


सोंधी खुशबू वाला पानी -
 तुझसे भी कुछ कहता होगा
बादल ने बारिश के हाथों
तुझको भी कुछ भेजा होगा


मेघों ने बरसकर ,
तुझसे कुछ कहा है क्या -
सावन की रिमझिम में
तेरा ख्याल आ गया          

A painting ( The starry night ) by Vincent van Gogh.....