शनिवार, 14 जुलाई 2012

sawan

रिमझिम मौसम  की ,  सावनी  फुहारें 
माटी  से , सोंधी  खुशबू  लाये 
बरखा  की बूंदे  , तन को भिगोये 
शबनमी  यादे ,  मन  महकाएँ  

सोमवार, 27 फ़रवरी 2012

फागुन

फागुनी हवा है वोह ,
मुट्ठी में बांधना है .......
खुशबु है , बसंती झोंको की
सजा हो पलकों पर ख्वाब कोई ....
रहता है सांसों में धड़कन बनकर
उड़ जाता है ,नींदों से , सपना बनकर .....