गुरुवार, 23 जून 2011

सावन

रुकी रुकी सी बारिशों के बोझ से दबी दबी

झुके झुके से बादलों से -
धरती की प्यास बुझी
घटाओं ने झूमकर  
 मुझसे कुछ कहा तो है
बूंदे मुझे छू गई -
तेरा ख्याल आ गया


सोंधी खुशबू वाला पानी -
 तुझसे भी कुछ कहता होगा
बादल ने बारिश के हाथों
तुझको भी कुछ भेजा होगा


मेघों ने बरसकर ,
तुझसे कुछ कहा है क्या -
सावन की रिमझिम में
तेरा ख्याल आ गया          

A painting ( The starry night ) by Vincent van Gogh.....



11 टिप्‍पणियां:

  1. सोंधी खुशबू वाला पानी -
    तुझसे भी कुछ कहता होगा
    बादल ने बारिश के हाथों
    तुझको भी कुछ भेजा होगा
    bahut sunder bhavabhiyakti.

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  2. saavan ki runjhun boondein
    aur
    aavan kee bhini-bhini aas

    bahut sundar kaavya.

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  3. बूंदे मुझे छू गई -
    तेरा ख्याल आ गया

    waah.......kya baat hai...

    saawan hoga baarish hogi to
    unke khayal aana to zaahir si baat hai....

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  4. आप ने सुन्दर भावों की बरसात ही कर दी है नीलिमा जी.
    बरसात का मौसम खुशगवार हो गया है.
    सुखद प्रस्तुति के लिए आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है.

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  5. मेघों ने बरसकर ,
    तुझसे कुछ कहा है क्या -
    सावन की रिमझिम में
    तेरा ख्याल आ गया.....


    पेंटिंग-सी खूबसूरत रचना....
    हार्दिक शुभकामनायें.

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  6. nileema ji
    bahut hi sundar .v behtreen .man me utar gai aapki pyaar bhri barish ki bundo me bhigi rachna.
    bahut bahut badhai
    मेघों ने बरसकर ,
    तुझसे कुछ कहा है क्या -
    सावन की रिमझिम में
    तेरा ख्याल आ गया
    ye pnktiyan bahut hi pyaari lagin
    poonam

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  7. आपकी इस कविता ने मन मोह लिया , यादो का क्या वो तो हमेशा ही आती रहती है और सावन में तो कुछ ज्यादा ही .

    बधाई !!
    आभार
    विजय
    -----------
    कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html

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