बुधवार, 13 जुलाई 2011

13 july -- dastak

ना कोई आहट है ,ना कोई दस्तक
सब तरफ एक  तन्हाई  फ़ैली  है ,
चाँद भी  कुछ  बोलता  नहीं है आज ,
मुहं  छुपा रहा  है ,  बादलों  के  पीछे ........


     

9 टिप्‍पणियां:

  1. जब तनहा महसूस करते है तो ये एहसास साथ हो लेते है

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  2. बहुत सुन्दर चित्र खींचा है आपने तन्हाई का.
    सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.

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  3. नीलिमा जी, बहुत ही प्‍यारी कविता पढवाई आपने। बधाई स्‍वीकारें।

    ............
    प्रेम एक दलदल है..
    ’चोंच में आकाश’ समा लेने की जिद।

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  4. App ka blog pad kar mujhe bahut hi anand aya. Main blog mein naya hoon aur main bhi ek blog likha hoon,. BACHPAN KE DIN - VISHY. pLEASE VISIT KIJIYEGA

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