शुक्रवार, 13 मई 2011

ओस

वो एक ख्वाब की तरह ,
रात भर पलकों पर सजता है
आँखों के साये चलता है
आँखे खुलते ही ....
ओस की बूंदों सा
दिल में शबनम बन बसता है


Girls at the Piano, 1892, by Pierre-Auguste Renoir, Musée d'Orsay, Paris










9 टिप्‍पणियां:

  1. aapki kai saari rachanaaye padhi ...sab ek se badhkar ek hai......likhte rahiye ....shubhkamnaaye

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  2. वाह ! जी,
    इस कविता का तो जवाब नहीं !

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  3. शब्द पुष्टिकरण हटा दें तो टिप्पणी करने में आसानी होगी ..धन्यवाद
    वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
    डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो NO करें ..सेव करें ..बस हो गया

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