गुरुवार, 16 सितंबर 2010

chand

                                                                                                                        
रात भर चाँद चलता रहा
रात का पहरा ढलता रहा
सुबह के आगोश में आने को
चाँद का मन मचलता रहा




सुरमई साँझ से निकला चाँद
बदली की ओट में छुपता रहा
रात का आँचल ढलते ही
सुबह के साये में गुम हुआ




सूने से आकाश में चमके
यूँ पूनम का चाँद ....
यादों में चांदनी उतरती                 
करीब चला आया चाँद ... "The Frame" by Frida Kahlo

9 टिप्‍पणियां:

  1. सुरमई साँझ से निकला चाँद
    बदली की ओट में छुपता रहा
    रात का आँचल ढलते ही
    सुबह के साये में गुम हुआ..
    बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! इस शानदार, भावपूर्ण और लाजवाब रचना के लिए बधाई!

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  2. यादों में चांदनी उतरती
    करीब चला आया चाँद .
    बहुत ही ख़ूबसूरत कविता है....

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  3. रात भर चाँद चलता रहा
    रात का पहरा ढलता रहा
    सुबह के आगोश में आने को
    चाँद का मन मचलता रहा

    नीलिमा जी !
    अगर जान की अमान पाऊं
    तो इस रूबाई को
    कुछ इस तरह दोहराऊं?


    रात भर चाँद चलता रहा
    रात का पहरा ढलता रहा
    सुब्ह खुद आयी आगोश में
    चांद यूं ही मचलता रहा ।

    आदाब अर्ज़ है!!

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  4. सुरमई साँझ से निकला चाँद
    बदली की ओट में छुपता रहा
    रात का आँचल ढलते ही
    सुबह के साये में गुम हुआ
    chand wakai bahut khoobsurat hai ,hum dil tham ke gaur se dekhte rahe .chand ka is raat me aana bhi raj hai .

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  5. नीलिमा जी....भावपूर्ण और लाजवाब रचना

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  6. neelima ji pahli bar aapke blog par aai hun aur aate hi aapne to mantra-mugdh kar diya .behtreen post.
    poonam

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  7. दशहरा की ढेर सारी शुभकामनाएँ!!

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