हवाओं के सुरों पर , सिहरन की तरह
गर्म फिजाओं में , ठिठुरन की तरह
सूरज की तपिश में , बर्फीली छुअन सा
दूर कहीं कोएल की , कूक सा
कानों में बजती , बाँसुरी सा
धड़कन में बजती , रागिनी सा
आगोश में भरकर , छूकर जो निकला
कहीं यह रोमांस तो नहीं .......
Sundar bhavpurn ahsas...
Sundar bhavpurn ahsas...
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