सोमवार, 27 फ़रवरी 2012

फागुन

फागुनी हवा है वोह ,
मुट्ठी में बांधना है .......
खुशबु है , बसंती झोंको की
सजा हो पलकों पर ख्वाब कोई ....
रहता है सांसों में धड़कन बनकर
उड़ जाता है ,नींदों से , सपना बनकर .....

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