मंगलवार, 8 फ़रवरी 2011

Basant - 8th Feb 2010

उसके आने की दस्तक हुई ..
सकुचाया , शरमाया आया बसंत
फूल खिले ,    मधु  झरे  
खुशबुओं की आहट  , लाया बसंत


अंगना में धूप खिली , बसंती बयार बही
सुधबुध  सबकी   बिसराया   बसंत ....

8 टिप्‍पणियां:

  1. नीलिमा जी,
    आपका बहुत बहुत शुक्रिया की आपने अपने कीमती वक़्त में से कुछ पल निकाल कर मेरी रचना पढ़ी और उसको अपने शब्दों के ज़रिये मान दिया!
    बसंत आगमन की आपको भी बधाइयां, आप आते रहिएगा मेरे ब्लॉग पर और मैं भी आता रहूँगा, आपका अनुसरणकर्ता बन रहा हूँ!

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  2. बसंत का संक्षिप्त वर्णन . बहुत खूब.
    ख़ास कर...
    उसके आने की दस्तक हुई ..
    सकुचाया , शरमाया आया बसंत

    आपकी कलम को सलाम

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  3. wahhhhh......kitna khoobsurat vasant hai....bohot accha laga padhkar, aapka andaaz, aaki nazm...sabhi kuch....khoobsurat

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  4. मैं ज़रूरी काम में व्यस्त थी इसलिए पिछले कुछ महीनों से ब्लॉग पर नियमित रूप से नहीं आ सकी!
    बहुत सुन्दर लिखा है आपने! लाजवाब कविता !

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  5. आपको और आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!

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  6. बसंत का संक्षिप्त वर्णन,बहुत सुन्दर|

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